भारत में थर्डजेंडर्स या ट्रांसजेंडर्स के साथ समाज का व्यवहार बहुत तार्किक नहीं है. हैरानी की बात तो यह है कि मौजूदा केंद्र सरकार भी इनके प्रति बहुत गंभीर नहीं है. बीते साल केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि जेलों में बंद कैदियों में ट्रांसजेंडर्स के आंकड़ों को अलग रखा जाएगा. लेकिन जब बजट सत्र के दौरान संसद की राज्य सभा में सवाल उठा तो सरकार के बयान ने हैरानी में डाल दिया.
संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि उसके पास जेलों में बंद ट्रांसजेंडर्स के आंकड़े ही नहीं हैं. यह सूरत तब है, जब 15 अप्रैल 2014 को ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को थर्डजेंडर के तौर पर मान्यता दे चुका था. सवाल उठता है कि इसके बाद भी ट्रांसजेंडर्स को अलग से थर्डजेंडर के रूप में क्यों नहीं दर्ज किया गया?
दरअसल, राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि बीते तीन साल यानी 2018-19, 2019-20, 2020-21 गिरफ्तार किए गए विपरीत लिंगी (ट्रांसजेंडर्स) की संख्या कितनी है, कितने व्यक्ति जेल में हैं, कितने विचाराधीन हैं, जेलों में उनके आवास की सुविधा क्या है, क्या उन्हें दूसरे स्त्री या पुरुषों के संग रखा जाता है और क्या सरकार उनके लिए अलग से आवास की व्यवस्था मुहैया कराएगी?
राज्य सभा में सांसद राकेश सिन्हा के इन सवालों का जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने जवाब दिया. उन्होंने बताया कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-2 की प्रविष्टि-4 के तहत कारागार और उसके भीतर बंद व्यक्ति राज्य के विषय हैं.
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गृह राज्य मंत्री ने आगे कहा कि कारागारों और कैदियों के प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है, जो कारागारों में जरूरत के हिसाब से ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए अलग से जगह उपलब्ध कराने के लिए सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए और कारागारों में बंद ट्रांसजेंडर्स से संबंधित आंकड़े केंद्रीकृत रूप से नहीं रखे जाते हैं.
सामान्य तौर पर केंद्र सरकार जेलों में बंद कैदियों के आंकड़ों को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से बताती है. इसमें कैदियों के लिंग, धर्म और वर्ग के आधार पर आंकड़े होते हैं. इसमें ट्रांसजेडर्स के अलग से आंकड़े नहीं होते हैं. सवाल बस इतना है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में वादा करने के बावजूद ट्रांसजेडर्स के अलग से आंकड़े नहीं जुटाए.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) ने जेलों में बंद ट्रांसजेंडर्स के बारे में आरटीआई से सूचना जुटाई है. इसके मुताबिक, मई 2019 और अप्रैल 2020 के बीच कम से कम 214 ट्रांसजेंडर जेल गए. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 47 ट्रांसजेंडर जेल गए. इसके बाद तेलंगाना का नंबर है, जहां 40 ट्रांसजेंडर जेल गए. इसके बाद ओडिशा (20) और मध्य प्रदेश (18) का नंबर है.
देश में सिर्फ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान समेत 10 राज्यों की जेलों में ट्रांसजेंडर्स को महिला और पुरुष से अलग रखा जाता है. पंजाब और झारखंड ने आरटीआई के जवाब में बताया कि ट्रांसजेंडर्स को उनके वारंट में दर्ज लैंगिक स्थिति के आधार पर महिला या पुरुष के साथ रखा जाता है.
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