कोरोना महामारी का कोहराम अब हर घर तक पहुंचने लगा है. शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ने लगी है. हर तरफ हाहाकार है. लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन का दावा है कि भारत बीते साल के मुकाबले कोरोना महामारी से निपटने के लिए मानसिक और भौतिक (ढांचागत सुविधाएं) रूप से बेहतर है. हालांकि, जमीनी हालात उनके इस दावे का समर्थन नहीं कर रहे हैं, क्योंकि लोगों को ऑक्सीजन सिलिंडर से लेकर एक-एक इंजेक्शन के लिए भटकना पड़ रहा है. यहां तक कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए संसद में जो दावे किए थे, वे भी अब सवालों के घेरे में हैं.
संसद के बजट सत्र में केंद्र सरकार ने कहा था कि कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिए रक्षा शोध और विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने 1000 से लेकर 10000 आइसोलेशन बेड्स की क्षमता वाले अस्पताल बनाएं हैं. लोकसभा में सांसद नीतीश गंगा देब और सांसद एम. बदरुद्दीन अजमल ने अतारांकित प्रश्न (संख्या- 826) के तहत सरकार से पूछा था कि देश में कोरोना वायरस से कितने लोगों की मौत हुई है, कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं, मृत्यु दर कितनी है और सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाए हैं? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कोविड-19 से मरने वाले व्यक्तियों के परिजनों के लिए कोई आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है?
सांसदों के इन सवालों का 5 फरवरी 2021 को केंद्रीय परिवार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जवाब दिया था. इसी जवाब में उन्होंने बताया था, ‘कोरोना मामलों के प्रबंधन के लिए ईएसआईसी, रक्षा, रेलवे, अर्द्धसैनिक बल, इस्पात इत्यादि मंत्रालयों के तृतीयक स्तर के अस्पतालों की सेवाएं ली जा रही हैं. इसके अलावा राज्य सरकारें निजी क्षेत्र के साथ साझेदारियां की हैं. डीआरडीओ ने 1000 से 10,000 आइसोलेशन बेड्स की क्षमता के साथ बड़े फील्ड हॉस्पिटल्स स्थापित किए हैं.’ डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय के तहत आता है.
केंद्र सरकार ने बजट सत्र में ही नहीं, इससे पहले बीते साल सितंबर में हुए मानसून सत्र में भी 1000-10000 बिस्तरों की क्षमता वाले फील्ड अस्पताल बनाने का दावा दिया था. सांसद थिरुनेवुक्कारसर सु (Thirunavukkarasar Su) और सांसद टी सुमति तामिझाची थंगपांडियन (T. Sumathy Thamizhachi Thangapandian) के सवालों के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया था कि राज्य सरकारों को कोविड इलाज के लिए पूरी तरह समर्पित त्रिस्तरीय अस्पताल बनाने का सुझाव दिया गया है. उन्होंने कहा था कि इसके अलावा डीआरडीओ ने 1000 से लेकर 10,000 (दस हजार) आइसोलेशन बेड की क्षमता वाले अस्पताल बनाए हैं. इन अस्थायी अस्पतालों को दिल्ली, बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर में बनाया गया है. ऐसा ढांचा बनाने के लिए इसके अनुसार महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने कार्रवाई की है.
(In addition, Defence Research and Development Organization (DRDO) has set up large dedicated COVID-19 field hospitals with capacities ranging from 1000 to 10,000 isolation beds. These temporary hospitals have been set up in Delhi, Bihar (Patna and Muzaffarpur). All States including Maharashtra and Tamil Nadu have accordingly taken action to create such infrastructure. Hospital infrastructure in the country for managing COVID-19 cases is being continuously monitored by Government of India.)
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